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Hindi | |
has gloss | hin: स्कन्द पुराण की संक्षिप्त जानकारी माहेश्वरखण्ड श्रीब्रह्माजी कहते हैं- वत्स ! सुनो, अब मै स्कन्द पुराण का वर्णन करता हूँ,जिसके पद पद में साक्षात महादेवजी स्थित हैं। मैने शतकोटि पुराण में जो शिव की महिमा का वर्णन किया है,उसके सारभूत अर्थ का व्यासजी ने सकन्दपुराण में वर्णन किया है। उसमें सात खण्ड किये गये है,सब पापों का नाश करने वाला स्कन्द पुराण इक्यासी हजार श्लोकों से युक्त है,जो इसका श्रवण अथवा पाठ करत है वह साक्षात शिव ही है,इसमें स्कन्द के द्वारा उन शैव धर्मों का प्रतिपादन किया गया है,जो तत्पुरुष कल्प में प्रचलित थे,वे सब प्रकार की सिद्धि प्रदान करने वाले इसके पहले खण्ड का नाम माहेश्वर खण्ड है,जि सब पापों का नाश करने वाला इसमें बारह हजार से कुछ कम श्लोक है,यह परम पवित्र तथा विशाल कथाओं से परिपूर्ण है,इसमें सैकडों उत्तम चरित्र है,तथा यह खण्ड स्कन्द स्वामी के माहात्म्य का सूचक है। माहेश्वर खण्ड के भीतर केदार माहात्मय में पुराण आरम्भ हुआ है,उसमें पहले दक्ष यज्ञ की कथा है,इसके बाद शिवलिंग पूजन का फ़ल बताया गया है,इसके बाद समुद्र मन्थन की कथा और देवराज इन्द्र के चरित्र का वर्णन है,फ़िर पार्वती का उपाख्यान और उनके विवाह का प्रसंग है,तत्पश्चात कुमार स्कन्द की उत्पत्ति और तारकासुर के साथ उनके युद्ध का वर्णन है,फ़िर पाशुपत का उपाख्यान और चण्ड की कथा है,फ़िर दूत की नियुक्ति का कथन और... |
lexicalization | hin: स्कन्द पुराण |
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